स्वजातीय महत्वपूर्ण बन्धु

श्रीमन्त श्री रामचन्द्र जी गुप्त

श्रीमन्त श्री रामचन्द्र जी गुप्त का प्रादुर्भाव गौरा उपनगर के नगरपालिका परिषद गौरा बरहज , जनपद - देवेरिया (उत्तर प्रदेश) में 14 अक्टूबर सन 1905 ई० में हुआ था | इनके पिता श्री का नाम श्रध्देय लक्ष्मण प्रसाद गुप्त तथा माता श्री का नाम माननीय शिवब्रती देवी था | चूँकि उस समय बरहज नगर का परिवेश देशी चीनी के कारखानों से व्याप्त था, माननीय लक्ष्मण प्रसाद गुप्त उस क्षेत्र में प्रभावी भूमिका का निर्वहन कर रहे थे , इसीलिए सुघर शिशु का जन्मोत्सव सोल्लास मनाया गया |

धीरे धीरे माता श्री श्रीमती शिवब्रती देवी एवं पिता श्री लक्ष्मण प्रसाद गुप्त के स्नेहमय गोद से श्रीयुत राम चन्द्र गुप्त घर आंगन में किलकारी भरते हुए शिशु से बाल तथा बाल से किशोर होकर ग्राम एवं नगर के वातावरण में प्रवेश किये | माता पिता के अत्यधिक प्यार से वे प्राथमिक शिक्षा से अधिक नहीं बढ़ सके | युवा होने पर 1927 में इनके पिता श्री लक्ष्मण प्रसाद गुप्त पुस्तक एवं स्टेशनरी की एक दुकान खोलकर उसका दायित्व इन्हें सौंप दिए | उस समय से ही श्री राम चन्द्र जी गुप्त अपने पिता श्री द्वारा प्रदत्त कार्य का निर्वहन पूर्ण निष्ठा एवं श्रम से करने लगे | कालांतर में श्रीमंत श्री रामचंद्र गुप्त का विवाह सुलक्षणा परमेश्वरी देवी से हुआ | समय के प्रवाह के साथ इन्हें दो पुत्र श्री सुरेश चन्द्र गुप्त एवं श्री रमेश चन्द्र गुप्त तथा श्री विधावति देवी नामक एक पुत्री उत्पन्न हुई | सभी सन्ताने योग्य , कर्मठ एवं माता पिता के भक्त हैं |

सामाजिक जीवन

श्री रामचन्द्र गुप्त अपना व्यवहार कार्य करते हुये सामाजिक कार्यों के प्रति समर्पित रहे | वे किसी भी दीन, दुखी, अकिंचन, असहाय की सहयता में सहर्ष कूद पड़ते थे तथा बड़े से बड़े व्यक्ति से लोहा लेने में डरते नहीं थे | इस कारण अनेक लोग इनकी आवाज़ पर खड़े हो जाते थे | वे असहायों के मित्र, गरीबो के रक्षक तथा सामंत वादियों के दुश्मन थे | इस कारण अनेक लोग उनके मित्र एवं सहयोगी हो गए हैं |

राजनैतिक जीवन

20 जनवरी 1920 में राष्ट्र-पिता महात्मा गाँधी , परमहंसाश्रम बरहज में पूर्वाहन ग्यारह बजे पधारे थे | श्री रामचन्द्र गुप्त प्रातः स्मरणीय महात्मा गाँधी से प्रभावित होकर उनके द्वारा संचालित "नमक सत्याग्रह" लोक प्रसिद्ध स्वंत्रता सेनानी श्रीयुत पंडित विश्वनाथ त्रिपाठी एवं श्री छांगुर त्रिपाठी के साथ सत्याग्रह में कूद पड़े | प्रदर्शन किये तथा सभा आयोजित कर अंग्रेजो का घोर विरोध किया | सन 1942 में "अंग्रेजो भारत छोड़ो" आन्दोलन में उन्हें एक माह की जेल यात्रा तथा तीस रुपया जुर्माना देना पड़ा | श्री रामचन्द्र गुप्त उत्तर प्रदेश के गाँधी महमना बाबा राघवदास के साथ कांग्रेस के सक्रिय कार्यकर्ता रहे | सन 1954 में कांग्रेस ने इन्हें सभासद पद क लिए टिकट नहीं दिया | वे कांग्रेस छोड़ कर भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के सदस्य बन गए | वे कम्युनिष्ट पार्टी के टिकट पर 1962 में सभासद बने तथा तत्कालीन नगरपालिका अध्यक्ष पंडित विश्वनाथ त्रिपाठी ने इन्हें जलकल एवं सफाई चेयरमैन पद देकर सम्मानित किया | श्री रामचंद्र गुप्त अब भी कम्युनिस्ट पार्टी की सभाओं में उत्साह के साथ जाते हैं तथा कार्यक्रमों में भाग लेते हैं |

स्व-जातीय सेवा

माननीय श्री रामचन्द्र गुप्त का स्व-जाति सेवा के प्रति अप्रीतम स्नेह एवं समर्पण रहा है | वे स्व-जाति कार्य हेतु सुदूरवर्ती क्षेत्रों तक पैदल एवं साइकल से प्रचार कार्य किये हैं | सन 1925 में दोहरिघट , आजमगढ़ में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन से लेकर सन 1939 के बरहज में आयोजित राष्ट्रीय सम्मलेन तक इनका योगदान अभूतपूर्व है | इसी कारण सन 1959 ई० के इलाहाबाद सम्मलेन में राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ० तेज बहादुर गुप्त , खगड़िया ने इन्हें राष्ट्रीय प्रचार मंत्री के रूप में सम्मानित किया | श्री रामचन्द्र गुप्त , बाबा सरयूदास संस्थापक खुरहट करजौली मऊ, स्वामी ग्राम सेवक दास , श्री रामलगन राम गुप्त , श्री रामरक्षा प्रसाद रईस एवं स्वंत्रता संग्राम सेनानी स्वामी आत्मदेव शास्त्री , श्री महादेव प्रसाद , कोठी हनुमान गंज बलिया एवं श्री पब्बर राम एम०एल०ए० के अनन्य सहयोगी एवं प्रशंसक रहे हैं |

राष्ट्रीय संरक्षक