स्वजातीय महत्वपूर्ण बन्धु

कर्मयोगी कामता प्रसाद

कर्मयोगी कामता प्रसाद गुप्त का जन्म भाद्रपद अष्टमी के दिन सन 1928 में उत्तर प्रदेश राज्य के जौनपुर जनपद के केराकत नगर के निकट सरौनी ग्राम में हुआ था । इनके पिता का नाम श्री गयाराम मद्धेशिया तथा माता का नाम श्रीमती भागवंती देवी था | इनके माता-पिता ईश्वर अनुरागी धार्मिक प्रवृत्ति के थे, आजीविका का आधार कृषि एवं व्यापार था ।

अपने परिश्रम ही वह महत्वकांक्षी स्वभाव के कारण 18 वर्ष की अल्पायु मुंबई आ गए | सम्प्रति जहां आज उनका शारदा होटल स्थित है वहां पर चना मुरमुरा का साधारण कारोबार करने लगे स्वर्गीय कामता प्रसाद जी अपने मृदुल व दयालु स्वभाव के कारण क्षेत्र में अधिक लोकप्रिय हो गए | शैने शैने आपने कठोर परिश्रम व सतत प्रयासों से इन्होंने शारदा डेयरी फार्म एवं स्वीट मार्ट की स्थापना की । इनकी उत्पादों की भद्रता, शुद्धता व ताजगी ने इन्हें संपन्नता की ओर उन्मुख किया तथा इन्होंने सन 1983 - 1984 में शारदा होटल की स्थापना करके अपने कर्मयोग में चार चांद लगा दिया | महानगर के केंद्र में स्थित होने के कारण व्यापारियों के लिए समागम केंद्र बन गया | इनकी आगामी योजना वाराणसी में एक पांच सितारा होटल खोलने की थी परंतु कालचक्र की नियति कुछ और ही थी वाराणसी से मुंबई यात्रा के दौरान 15 दिसंबर 1983 में महामानव हमसे सदा सदा के लिए दूर चले गए हम अनाथ हो गए ।

यद्यपि कि आज वह महानायक हमारे बीच नहीं है परंतु उनके सुपुत्र उन्हीं के ही पद चिन्हों पर चलते हुए | उन्हीं के प्रताप पर अपने व्यवसाय में विकास के पथ पर अग्रसर हैं | स्वर्गीय कामता प्रसाद की स्मृति में दिनांक 5 दिसंबर 1996 को वृहद मुंबई महापालिका क्षेत्र के सी वार्ड चिरा बाजार के स्थानीय जगन्नाथ सेठ मार्ग पर अवस्थित चौक को कर्मयोगी कामता प्रसाद जयराम गुप्त चौक का नामकरण महाराष्ट्र सरकार के गृह मंत्री श्री राज पुरोहित द्वारा प्रदान किया गया | इस अवसर पर श्री शांतिलाल जैन सांसद भाजपा, श्री रविंद्र मिरलेकर एम एल सी, श्री चंद्रकांत पड़वल विधायक शिवसेना, श्री जयकांत शुक्ल, श्री सीता गोम्स इंदिरा कांग्रेस और श्री रामाधार गुप्त तत्कालिक राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारतीय मध्यदेशीय वैश्य सभा में उपस्थित थे | इस समारोह की अध्यक्षता श्री रामविलास अवचट तथा संचालक श्री भरत गुर्जर ने किया था ।

शारदा होटल के पास चौराहे पर भी कर्मयोगी कामता प्रसाद गयाराम गुप्त का चम चमाता बोर्ड आज भी दर्शनीय है |


ऐसे महापुरुषों को शत शत नमन ...

राष्ट्रीय संरक्षक