स्व० फूलचन्द प्रसाद गुप्त
स्व० फूलचन्द प्रसाद गुप्त स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी, स्पष्ट वादी, राष्ट्रवादी तथा निर्भिक व्यक्ति अमिला बाजार, मऊ के निवासी थे | यू तो राजनैतिक धरातल पर फूलचन्द(बाबा) जी श्री झारखण्डे राय के घोर विरोधी थे, परन्तु मानवीय आधार पर उनमे कोई विभेद नही था | श्री राय ने एकाधिक बार घोसी विधान सभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था | जब कभी वे अमिला आते बाबा जी से लखनऊ में उच्च इलाज हेतु अनुरोध करना भूलते | यह बात बाबा जी ने मुझे बताया था | उस जमाने में आज जैसी परस्पर कटुता नही थी, आपसी प्रेम व्यवहार बना रहता था | मेरे बाबा जी का सपना था कि घोसी सीट पर कांग्रेस कि विजय हो | 1969 मध्यावधि चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर श्री रामबिलास पाण्डेय, कम्युनिस्ट पार्टी के स्व० जफर अजमी के विरुद्ध भारी मतों से विजयी रहे व श्री चन्द्रभानु गुप्त मंत्रीमण्डल में शामिल हुए | इस प्रकार बाबा जी के अन्तिम यात्रा के पूर्व उनका सपना पूरा हो चुका था |
बाबा जी जब कभी भी थककर घर आते मैं उनका पैर अवश्य दबाया करता था | मुझे याद है एक बार मैंने पैर दबाते समय उनसे पूछा था आपके दोनों पैरों के टखनों की हड्डियाँ क्यों दबी है ?
उन्होंने कहा था "बेटे देश को आजाद कराने के लिए मेरे प्रयासों कि यही एक निशानी है, पैरों में कांटेदार बेडियों का दर्द हमने सहा है | हम समझ सकते है गुलाम भारत माता को कितना दर्द होता होगा |" मैं जूनियर क्लास का छात्र उनके दर्द के दंश कि गहराई पूर्णतया नही समझ सका था | आज मुझे गर्व होता है वह मेरे बाबा थे | आजादी की लड़ाई के दोरान उन्हें इंडियन पैनल कोड की धारा 436 व 35 डी०आई०आर० के अंतर्गत दिनांक 29-04-1943 से दिनांक 22-04-1944 तक आजमगढ़ जिला कारागार में बेडियों में जकड़ कर रखा गया था |
कुछ लोंग बाबा जी के स्पष्टवादी तथा निर्भीकता के विषय पर चर्चा करते हुए बताते है कि अंग्रेजी हुकूमत के दहशत से जब अधिकांश लोग घरों से बाहर नही निकलते थे, उस समय वे महान स्वतन्त्रता सेनानी स्व० पटेश्वरी राय (निवासी अतरसावा) को घर पर आमन्त्रित कर के आजादी का बिगुल फूका था | स्व० पटेश्वरी राय व बाबा जी के अतिरिक्त स्व० राजकिशोर प्र० गुप्त, श्री विश्वनाथ प्र० गुप्त, स्व० रमाशंकर राय, स्व० स्वामीनाथ गुप्त, स्व० रघुनाथ प्रसाद, स्व० रघुवीर सिहं कि उत्साही टोली ने टाउन एरिया कार्यालय, रेलवे स्टेशन व डाक कार्यालय में तोड़ फोड़ किया एवं राजकीय अभिलेखों को जला कर नष्ट कर दिया था | इसी अभियोग में आपको जेल की यातनाएं सहनी पड़ी | अंग्रेज पुलिस ने घर पर लूट की, तबाही मचायी, परिवार के सदस्यों को कई दिनों तक उपवास करना पड़ा, फिर भी इनकी राष्ट्रीयता अडिग व अविचलित रही |
जीवन पर्यन्त बाबा जी का प्रख्यात स्वतन्त्रता सेनानी स्व० पण्डित अलगू राय शास्त्री व उनके अनुज स्व० रामलक्षन राय पर उनकी देश भक्ति व राष्ट्रीयता के कारण अगाध श्रधात्मक स्नेह रहा | बाबा जी जब भी अमिला रहते, मुझे स्व० रामलक्षन राय जी से सम्पर्क अवश्य कराते व उनके आशीर्वाद पाने के प्रेरित कराते रहते |
हम ऐसे स्वतन्त्रता सेनानीयों के कृतित्व व व्यक्तित्व से सीख लेनी चाहिए ताकि हम अपने राष्ट्र के स्वतंत्रता को चिर काल तक अक्षुण बनाये रख सके |
